Tuesday, 28 January 2020

रात -ज्योत्सना मिलन | हिंदी कविता : Deodar Online | Jyotasana Milan | Hindi kavita Raat

रात !

सबसे पहले 
शरू होता है माँ का दिन, मुँह अंधरे 
और सबके बाद तक 
चलता है, 
छोटी होती है 
माँ की रातें नियम से ,
और दिन 
नियम से लम्बे 
रात में दूर तक धंसे हुए ,
            
            इसे कोई भी 
            दिन की घुसपैठ नहीं 
            मानता 
            माँ की रात में ,
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फोटो साभार- Vincent Willem Van Gogh 
पैर सिकोड़कर 
रोज़ सोती है 
गुड़ी-मुड़ी माँ 
बची-खुची रात में, 
पैर फ़ैलाने लायक 
लम्बी भी नहीं होती 
माँ की रात!


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