गिरेछिना: अद्भुत सौन्दर्य से भरा हुआ विलुप्त गाँव
बचपन में हिमालय का दृस्य कहते ही गाँव में सब तपाक से बोल पड़ते थे, ‘‘ गिरेछिना जाके देखना, कितना खूबसूरत दिखता है, हिमालय वहाँ से’’ पर रोड का अभाव होने के कारण वहाँ पैदल ही पहुँचना पड़ता था। इसलिए गिरेछिना देखने का सपना बचपन में कभी पूरा नहीं हो पाया। हालांकि सोमेश्वर की मनगाड़ घाटी के लोग उत्तरायणी के मेले में उसी रास्ते से पैदल बागेश्वर जाया करते थे।
अपनी जाड़ों की छुट्टियाँ अकसर हम गाँव में ही बिताते थे। गिरेछिना से लोग फल, सब्जियाँ बेचने अकसर हमारे गाँव आया करते थे तो मै उनसे सहसा ही पूछ लिया करता था कैसा है गैरेछिना। 2015 के बाद सोमेश्वर से बागेश्वर की लिंक रोड बनने के बाद गैरेछिना कई लोगों की नजर में आया।
कैसे पहुँचे-
रोड बनने के बाद गिरेछिना आसानी से पहुँचा जा सकता है। हल्द्वानी से 140 किमी0 की दूरी पर गिरेछिना गाँव स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए हल्द्वानी से अल्मोड़ा या सोमेश्वर तक बस ली जा सकती है तथापि अपनी गाड़ी से भी आया जा सकता है। सोमेश्वर से बागेश्वर तक वर्तमान में इस रूट से कम ही बस चलती है इसलिए प्राइवेट गाड़ी या टेक्सी की मदद से यहाँ पहुँच सकते हैं।
कहाँ रूकें-
गिरेछिना गाँव अभी हाल ही में रोड बनने के बाद ही लोगों की नजर में आया इसलिए वर्तमान में फिलहाल यहाँ रूकने के होटल व अन्य संसाधनों का अभाव है। यहाँ एक दिवसीय यात्रा के लिए ही जा सकते हैं अगर आपको रूकना है तो रात होने से पहले या तो बागेश्वर या फिर सोमेश्वर वापिस आना पड़ेगा।
सुविधाऐं न होने के बावजूद भी यह गाँव अपने आप में सुन्दरता से भरा हुआ है जो इस गाँव ने सालों तक दुनियाँ से छुपाकर रखी थी। हिमालय के अद्भुत दृश्य यहाँ की खुबसूरती को और भी अधिक बड़ा देते हैं। वनों से घिरा यह स्थान भविष्य में एक अच्छे पर्यटन स्थल की तरह विकसित किया जा सकता है।
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