Tuesday, 4 February 2020

अस्तित्व खोता आश्रम - अनासक्ति आश्रम - कौसानी - Kausani - Anasakti ashram - Ashram in Uttarakhand - Deodar Online

अस्तित्व खोता आश्रम

हल्द्वानी से 139 कि0मी0 की दूरी पर समुद्रतल से 1890 फि0 की ऊँचाई पर कौसानी मे स्थित अनासक्ति आश्रम जो शान्ति, शक्ति और देशप्रेम का प्रतीक है। आधुनिकता, पश्चयातीकरण और लोगों में बढ़ती हिंसक प्रवृतियों के कारण आज अपनी पहचान बचाने को जूझ रहा है। 
अनासक्ति आश्रम
साभार- Deodar Online 

‘‘1929 में पूज्य बापू महात्मा गांधी जी, भारत व्यापी दौरे पर निकले, थकान दूर करने की नियत से वह दो दिनों के लिए कौसानी आये, घाटी के उस पार हिमंडित पर्वतमालाओं पर पड़ती दिवाकर की स्वर्णमयी किरणों ने उनका मन मोह लिया। वे यहाँ 14 दिन तक रहे तथा गीता पर आधारित अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘‘अनासक्ति योग’’ की प्रस्तावना की रचना की। गांधी जी का यह 14 दिवसीय आवास एक चाय बगान के मालिक का अतिथि गृह, कालान्तर में जिला पंचायत का डाक बंगला, उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय सुचेता कृपलानी द्वारा गांधी जी की स्मृति को तरोताजा रखने हेतु ’’उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि’’ को प्रदान किया गया। गांधी जी की अमर कृति ’’अनासक्ति योग’’ के नाम पर ही इस आश्रम की स्थापना हुई तथा इसका नामकरण ’’अनासक्ति आश्रम’’ के रूप में हुआ।

आश्रम प्रवृतियाँ - आवासीय सुविधाओं के साथ ही यहाँ एक पुस्तकालय एवं वाचनालय तथा गांधी दर्शन साहित्य पटल उपलब्ध है। गांधी दर्शन पर शोधकर्ताओं, दार्शनिकों एवं आध्यात्मिक अभिरूचि के पर्यटकों के लिए यहाँ ग्रंथ उपलब्ध हैं। गांधी जी की सामूहिक-प्रार्थना आश्रम की दैनिक दिनचर्या का विशष अंग है। आश्रम के चारों ओर विशाल वन वृक्षों और हिम मालाओं के साथ ही स्फटिक सा निरभ्र आसमान अनायास ही मन को अगाध अनान्द और शान्ति प्रदान करता है। प्राकृतिक छटा और आश्रम का वातारण सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् की अनुभूति कराता है।’’
अनासक्ति आश्रम की स्थापना
साभार- Deodar Online 

आश्रम के दर्शन पटल पर लिखा ये उद्गार याद दिलाता है कि किस तरह से महात्मा गांधी ने जो कुछ दिन की यात्रा पर निकले थे 14 दिनों तक कौसानी में प्रवास किया तथा ’’अनासक्ति योग’’ की टीका लिखी।

परन्तु आज क्या ये आश्रम अपने पूर्ण स्वरूप में अपनी मूल आत्मा को संजोये रखने में सक्षम है। तत्कालीन सरकार ने इसे चाय बगान के मालिक से यह सोचकर लिया ताकि लोग यहाँ भ्रमण करने आ सकें तथा गांधी जी और उनकी विचार धारा से जुड़ सके। यहां निवास के दौरान महात्मा गांधी ने पाया कि यहाँ अन्नत शान्ति का समावेश है। यहाँ की खुबसूरत हिममयी पहाड़ियों को देखकर उनके मुंह से स्वतः ही निकल पड़ा था। प्रकृति ने मेरे चरखे के लिए कितनी कपास जमा करी है। उन्होनें इसे ’’भारत का स्विटजरलैंड’’ की उपाधि प्रदान करी।

अस्तित्व खोता आश्रम
साभार- Deodar Online 

उत्तराखण्ड वासियों तथा उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों का आजादी की लड़ाई में विशेष स्थान रहा है। गांधी के उत्तराखण्ड आगमन के दौरान ही यहां के लोगों को वास्तव में भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ने का मौका मिला, जाते समय गांधी जी आश्रम में अपनी विचारधारा जो सत्य अहिंसा, प्रेम से भरी हुई थी छोड़ गए थे। जो यहाँ के वासियों को प्रेरणा व उत्साह दें सकें। कई दशकों तक ऐसा हुआ भी कि यहाँ के निवासी ही नहीं देश-विदेश से भी लोग यहाँ गांधी विचारधारा और दर्शन से प्रभावित होकर, आत्मशान्ति तथा गांधी की समझ को समझने के लिए आते थे। वर्तमान में आश्रम में ये देखने को मिला कि किस तरह से एक आश्रम जो प्रतीक है अहिंसा, सत्याग्रह का अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। गांधी विचारधारा जानने से ज्यादा उत्सुकता फोटो खीचने में ही देखी जाती है। किस तरह से आश्रम को हमारी विरासत को सिर्फ पर्यटन स्थल तक ही सिमित कर दिया गया है। कभी राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन में प्रेरणाश्रोत रहे महात्मा गांधी को तथा उनकी विचारधारा विसरा दिया गया है। जबकि आज जब लोग धैर्य खोते जा रहें हैं और अहिंसा को भूलकर हिंसा करने पर आमादा हैं तो उसकी सबसे अधिक आवश्यकता प्रतीत होती है।



तरुण पाठक 




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