तुम शब्दों में !
युहीं लिख दिया
तुमको मैंने शब्दों में,
शब्द शायद अटपटा सा लगे
पर हैं भी कहाँ मेरे पास
इसके सिवा
तुमको देने के लिए कुछ।
वो जो चुम्बन, मैंने लिए थे,
जिज्ञासु बच्चे की तरह।
वो जो कुछ भी, मैंने तुम्हारे शरीर में टटोला,
मेरे पास कुछ नही है कहने लिए।
![]() |
फोटो साभार- flickr |
वो सभी जगह
जहाँ हम थे कभी
याद है, तुमको
यादें होना भी बड़ी बात है , अपने आप मे
मैंने हमेशा लिखनी चाही है
कोई कविता तुम्हारे लिए
पर शब्द नहीं ढूंढ पाया
ये शब्द ही शायद कविता हैं।
मैं लिखना चाहूँगा इनको
हिमालय सा सफ़ेद,
जिनका जिक्र तुमने कर दिया था
बातों-बातों में कभी।
मैं लिखना चाहूंगा इन्हें हँसी सा,
जिसको मैं ढूंढता रहा
तुम्हारे चेहरे में हमेशा।
मैं लिखना चाहूँगा तुम्हारी आँखों को,
जिनमे विरोध था और
विरोध के बीच समर्पण भी।
उस कविता मे जिक्र होगा
मेरे हौसले का,
जो मैंने किया था
अपने हाथों को तुम्हारी तरफ खींचते हुए।
उस कविता मे जिक्र होगा
घुप्प उगी हुई घास का,
जिसने मिलाना चाहा था
तुमसे मुझे।
और इन सब को शब्दों में
ढाल लेने के बाद,
शायद मैं पूरी कर ही लूँगा
उस कविता को
जिसमें जिक्र होगा तुम्हारा
और तुममे मेरा।
लेखक-तरुण
हमारे फेसबुक पेज को लिखे करें- @Deodar Online
Mysuru Casino - The HERZAMMAN
ReplyDeleteMysuru Casino gri-go.com - herzamanindir The Home of the Best of the ventureberg.com/ Slots! Visit us to Play the best slots and enjoy the best table games septcasino.com in our https://febcasino.com/review/merit-casino/ casino. Visit us