सब कुछ वैसे ही चलता है
सब कुछ वैसे ही चलता है
जैसे चलता था जब तुम थी,
रात भी वैसे ही, सर मूंदे आती है
दिन भी वैसे ही आँखे मलता जागता है
तारे सारी रात जम्हाइयाँ लेते हैं
सब कुछ वैसे ही चलता है
जैसे चलता था जब तुम थी।
काश तुम्हारे जाने पर
कुछ फर्क तो पड़ता जीने में
प्यास न लगती पानी की
बाल हवा में न उड़ते
या धुंआ निकलता सांसो से।
सब कुछ वैसे ही चलता है
जैसे चलता था जब तुम थी।
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