Saturday 19 September 2020

Gulzar-Sab Kuch Waise Hi Chalta Hai-Gulzar Nazm-Gulzar Poem

 सब कुछ वैसे ही चलता है 


सब कुछ वैसे ही चलता है 

जैसे चलता था जब तुम थी,

रात भी वैसे ही, सर मूंदे आती है 

दिन भी वैसे ही आँखे मलता जागता है 

तारे सारी रात जम्हाइयाँ लेते हैं 

सब कुछ वैसे ही चलता है 

जैसे चलता था जब तुम थी।  




Sab Kuch Waise hi Chalta Hai
Photo-the Conversation.com


काश तुम्हारे जाने पर 

कुछ फर्क तो पड़ता जीने में 

प्यास न लगती पानी की 

बाल हवा में न उड़ते 

या धुंआ निकलता सांसो से। 

सब कुछ वैसे ही चलता है 

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