Friday 4 September 2020

AMRITAPRITAM-HINDI KAVITA-KUFRA--DEODARONLINE-अमृता प्रीतम - हिंदी कविता-कुफ़्र

 कुफ़्र 


आज हमने एक दुनियाँ बेची
और एक दिन ख़रीद लिया 
हमने कुफ़्र की बात की 

सपनों  का एक थान बुना था
एक गज़ कपड़ा फाड़ लिया 
और उम्र की चोली सीली 




आज हमने आसमान के घड़े से 
बादल का एक ढकना उतारा
और एक घूंट चांदनी पी ली 

यह जो एक घड़ी हमने 
मौत से उधार ली है 
गीतों से इसका दाम चुका देंगे!









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