Wednesday 27 May 2020

हिन्दी कविता - तुम्हारी मौजूदगी - Hindi Kavita - Tumhari Maujadgi - DeodarOnline

तुम्हारी मौजूदगी      


तुम्हारा होना मेरे लिये उस बसन्त की तरह है,
जिसका इंतजार मैने तब से किया
जब मैने पहला बसन्त देखा, और तुम्हें भी।
ये बसन्त बहुत इतरा रहा है,
फूलों की पंखुड़ियाँ और नाजुक हो रही हैं। 
बहार आने का ये अलग ही ढंग है।
शायद तुमसे ही सीखा है मौसम ने ये मिजाज
हर रोज पहले से ज्यादा रौनक चैहरा तुम्हारा

बसन्त

 
क्या तुम्हें पता है?
इस बार बसन्त अपना कुछ रंग तुम में छोड़ गया है।
लेकिन चुप-चाप, आहिस्ता-आहिस्ता
दबे पाँव जंगलों में, तुम्हारा जादू,
तुम्हारी चंचल हंसी की तरह, घुल रहा है।
गुम-सुम खड़ी तुम, झरने के निनाद मे,
चुपके से मेरे कानों मे वो बात बोल जाती हो
जो सिर्फ मै और शायद ये बसन्त ही जानता है
और मैं वो  खामोश पानी हूँ,
जिसमे तुम अपनी परछाई देख सकती हो।
वो विरान रात जिसे सिर्फ तुम्हारा इंतजार रहा हमेशा।  

(अमित कुमार )


हमारा फेसबुक पेज लाइक करें - @deodaronline

0 Please Share a Your Opinion.: