Monday, 27 January 2020

कविता : रमा शंकर विद्रोही की कालजयी कविता 'मैं भी मरूंगा' Deodar Online

मैं भी मरूंगा 
मैं भी मरूंगा,
और भारत भाग्य विधता भी मरेंगे,
मरना तो जन-गण-मन अधिनायक को भी पड़ेगा,
लेकिन मैं चाहता हूं, 
की पहले जन-गण-मन अधिनायक मरें,
फिर भारत भाग्य विधाता मरें फिर साधु का काका मरे,
यानि सारे  बड़े-बड़े लोग पहले मर लें,
फोटो साभार- New Internationalist
फिर मैं मरुँ-आराम से,
उधर-चलकर बसंत ऋतु में,
जब दानो में दूध और आमो में बौर आ जाता है,
या फिर तब-जब महुआ चुने लगता है या फिर,
तब जब वनबेला फूलती है,
नदी किनारे मेरी चिता दहक कर महके 
और मित्र सब करें दिल्लगी,
कि ये विद्रोही भी क्या तगड़ा कवि था,
सारे बड़े-बड़े लोगों को मार कर तब मारा. 




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