Thursday, 30 January 2020

सुर्य कांत त्रिपाठी निराला - वीणा वादिनि वर दे - हिन्दी कविता - Deodar Online

वर दे, वीणा वादिनि वर दे !

वर दे, वीणा वादिनि वर दे!
प्रिय स्वतंत्र-राव अमृत-मंत्र नव 
भारत में भर दे!

काट अंध-उर के बंधन-स्तर 
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर,
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर 
जगमग जग कर दे!

फोटो साभार- Hindi Rush 
नवगति, नवलय, ताल-छंद नव 
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्र रव,
नव नभ के नव विहग-वृंद को 
नव पर, नव स्वर दे!

वर दे, वीणावादिनि वर दे!













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